मंजिल-मंजिल सोच रहा था,
कदम-कदम पर खोज रहा था,
मिला नही जवाब कोई...
मैं आज तक
तड़प-तड़प कर मर रहा था!
पूछता था हर कोई
क्या हुआ है, बता तू?
उनसे डर कर,
सोच-सोच कर
मैं ये दिल से पूछ रहा था-
नसीब में मेरे क्या लिखा था
ये मैं नहीं जानता था!
आगे क्या होगा मेरा
ये मैं नहीं जानता था!
पूछ लो दिल से
दिल ये कह रहा है!
खुश हो जाओ
दिल से दिल
ये कह रहा है!
कदम-कदम पर खोज रहा था,
मिला नही जवाब कोई...
मैं आज तक
तड़प-तड़प कर मर रहा था!
पूछता था हर कोई
क्या हुआ है, बता तू?
उनसे डर कर,
सोच-सोच कर
मैं ये दिल से पूछ रहा था-
नसीब में मेरे क्या लिखा था
ये मैं नहीं जानता था!
आगे क्या होगा मेरा
ये मैं नहीं जानता था!
पूछ लो दिल से
दिल ये कह रहा है!
खुश हो जाओ
दिल से दिल
ये कह रहा है!
5 टिप्पणियां:
nice
वाकई किसी को नही आगे क्या होगा.
Waah ! Kaash is tarah se mai bhee kabhi likh patee..
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
Neeraj ji...aapka 'ek sawal...' pe intezaar hai!
वाह, क्या बात है!!
खुश हो जाओ
दिल से दिल
ये कह रहा है!
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एक अदना सा आदमी हूँ और शौकिया लिखने की जुर्रत करता हूँ... कृपया मार्गदर्शन करें...