बेटी आज की गाय नहीं
जिसे खूंटे में बाँध दो
और चरणे को थोरी सी घास दाल दो!
वह आज की नारी है
उसकी प्रगति जारी है!
आज...
न वह
जलती हुई
मोमबत्ती है
और न
पिघलता हुआ मोम,
आज की नारी
उन्नति की ऐसी शिला है
जिसके सहयोग से
समाज का नया रूप खिला है!
जिसे खूंटे में बाँध दो
और चरणे को थोरी सी घास दाल दो!
वह आज की नारी है
उसकी प्रगति जारी है!
आज...
न वह
जलती हुई
मोमबत्ती है
और न
पिघलता हुआ मोम,
आज की नारी
उन्नति की ऐसी शिला है
जिसके सहयोग से
समाज का नया रूप खिला है!
7 टिप्पणियां:
बटी उन्नति की शिला --
वाह बहुत सुन्दर
अच्छा चित्रण है। कम शब्दों में ... बधाई!
sach kaha......aur satya ko bebaki se prasut kiya
.........
comment ki jagah thik se nahi dikhti
बहुत बेहतरीन रचना.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
बधाई!
behtreen..........nari ka sahi roop prastut kiya hai
I appreciate the move, find some Hindi grammatical
mistaks
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एक अदना सा आदमी हूँ और शौकिया लिखने की जुर्रत करता हूँ... कृपया मार्गदर्शन करें...