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23 सित॰ 2009

सपना और सच...

मुझे हक है
आगे बढ़ने का
कुछ करने का !

मन से कहता हूँ
इच्छा जताता हूँ
बैठता हूँ करने
कर नहीं पाता हूँ!

कोशिश करता हूँ
सफलता पाने की
असफलता हाथ लगती है!

मन की इच्छा
पूरी नहीं हो पाती
मन में अजीब-सी
हरकत होने लगती है!

आसन से काम को लेकर
चिंता में रहता हूँ!

मन में समस्याएं भरी रहती हैं
जिसे लेकर परेशान रहता हूँ!

मुश्किलों का सामना नहीं करके
पीछे मैं रह गया!

मुझसे आगे बहुत निकल गए
देखता मैं रह गया!

मुझे भी है दम
आगे मैं भी बढूँगा!

बहुत सपने देखें हैं मैंने
मैं भी अपने सपने को साकार करूँगा !

"लडाई थी आगे आगे बढ़ने की"
जिसे मैं जीत नहीं पाया !
क्या-क्या सोच रहा था मैं
लेकिन कर नहीं पाया !

4 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…

सपने पूरे भी होते है और अधूरे भी रहते है.
हर सपना सच नही हो सकता और न ही होना भी चाहिये --
कुछ सपने सच होते है और फिर वह सपना नही हकीकत बन जाता है.

वाणी गीत ने कहा…

बहुत सपने देखें हैं मैंने
मैं भी अपने सपने को साकार करूँगा !
सपने जरुर साकार होंगे ...शुभकामनायें ..!!

Randhir Singh Suman ने कहा…

बहुत सपने देखें हैं मैंने
मैं भी अपने सपने को साकार करूँगा !nice

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आप सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते जायें।
शुभकामनाओं के साथ।

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एक अदना सा आदमी हूँ और शौकिया लिखने की जुर्रत करता हूँ... कृपया मार्गदर्शन करें...