हर तरफ़
सबसे आगे जाने की
दौर चल रही थी!
मैं उसमे सबसे
पीछे चल रहा था!
हर बात में
ले लिया करता था
मैं खुदा
से इजाज़त!
आज
खुदा भी हमसे
दूर हो गया था!
प्यार से जिसे
बुलाया था मैंने
आज वो भी मेरा
कोई न रहा!
आज मैं
सबसे अलग
रहना चाहता हूँ
तो बुलावा आया आपका!
8 टिप्पणियां:
लिखते रहिये!!
क्यों होता है ऐसा ?अंत में यही कहना होगा,कि, वही होता है ,जो मन्ज़ूरे खुदा होता है ..! और जो खुदा को मंज़ूर , उसे हम क्या नामंज़ूर करें !
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://lalitlekh.blogspot.com
http://baagwaanee-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
बहुत सुन्दर.
अच्छी रचना है
---
तख़लीक़-ए-नज़र
aisa hi hota hai......bahut sahi alfaaz
अच्छा है ना! अकेले रहना क्यों चाहते हो??? कविता सही है...लेकिन कुछ और ध्यान दो इसकी बनावट और शब्दों के चुनाव पर...
लिखते रहो...
वाह बहुत बढ़िया लगा! नए अंदाज़ और शानदार प्रस्तुती!
मेरे नए ब्लॉग पर आपका स्वागत है -
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
Aap sabhi logon ka vichar achchha hai. Mujhe pasand aaya. Isi tarah apne vichar deten rahen. Thanks...... Thanks very much......
एक टिप्पणी भेजें
एक अदना सा आदमी हूँ और शौकिया लिखने की जुर्रत करता हूँ... कृपया मार्गदर्शन करें...