जिंदगी की कर रहा हूँ बात मैं,
चाहता हूँ इश्क की सौगात मैं।
सोच लो ये शाम लौटे फ़िर नहीं
कर सकूँ जब प्यार की बरसात मैं।
हैं मुझे वो याद वादे आज भी
ला सका हूँ इसलिए बारात मैं।
आदमी का हाल है ऐसा हुआ,
आज हूँ खाली इसी ही रात मैं।
चाहता हूँ इश्क की सौगात मैं।
सोच लो ये शाम लौटे फ़िर नहीं
कर सकूँ जब प्यार की बरसात मैं।
हैं मुझे वो याद वादे आज भी
ला सका हूँ इसलिए बारात मैं।
आदमी का हाल है ऐसा हुआ,
आज हूँ खाली इसी ही रात मैं।
6 टिप्पणियां:
बेहतरीन!!
umda !
बहुत ही कोमल एहसास.......
आदमी का हाल बखूबी बयान किया आपने..आभार
बहुत खूबसूरत
वीनस केसरी
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एक अदना सा आदमी हूँ और शौकिया लिखने की जुर्रत करता हूँ... कृपया मार्गदर्शन करें...