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10 जुल॰ 2009

आदमी का हाल...

जिंदगी की कर रहा हूँ बात मैं,
चाहता हूँ इश्क की सौगात मैं।

सोच लो ये शाम लौटे फ़िर नहीं
कर सकूँ जब प्यार की बरसात मैं।

हैं मुझे वो याद वादे आज भी
ला सका हूँ इसलिए बारात मैं।

आदमी का हाल है ऐसा हुआ,
आज हूँ खाली इसी ही रात मैं।

6 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बेहतरीन!!

Unknown ने कहा…

umda !

रश्मि प्रभा... ने कहा…

बहुत ही कोमल एहसास.......

Neeraj Kumar ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Ashish Khandelwal ने कहा…

आदमी का हाल बखूबी बयान किया आपने..आभार

वीनस केसरी ने कहा…

बहुत खूबसूरत

वीनस केसरी

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एक अदना सा आदमी हूँ और शौकिया लिखने की जुर्रत करता हूँ... कृपया मार्गदर्शन करें...