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26 जून 2009

पूछो ना तुम...

हाल हमारा पूछो ना तुम,
कौन हराया पूछो ना तुम।

जाग रहे थे सपनों में हम
नींद खुली कब पूछो ना तुम।

रूठ गए हैं जो जो हम से
नाम किसी का पूछो ना तुम।

किस्मत फूटी कहते हैं तो
दाम हमारा पूछो ना तुम।

हिम्मत टूटी गिरने से तो
कारण हम से पूछो ना तुम।

शाम अभी है काले बादल
आस सवेरा पूछो ना तुम।

जीवन सारा बदतर है अब
अंत हमारा पूछो ना तुम।

4 टिप्‍पणियां:

ओम आर्य ने कहा…

ek alag andaj me kawita ka prastutikaran..........bahut hi badhiya
likhate rahe ............sundar abhiwakti

Nitish Raj ने कहा…

अब अंत हमारा पूछो ना तुम बहुत ही बढ़िया, निराली सोच

रश्मि प्रभा... ने कहा…

एक सुन्दर रचना

Urmi ने कहा…

बेहद ख़ूबसूरत रचना!

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एक अदना सा आदमी हूँ और शौकिया लिखने की जुर्रत करता हूँ... कृपया मार्गदर्शन करें...