तुम जो इतना मुस्कुरा रहे हो
क्या है कहना जो छुपा रहे हो!
नज़रें ये तेरी बता रही हैं
नगमे मेरे गुनगुना रहे हो।
हाथों पे हिना जो रचा रखी है
उसपे तारे क्यूँ सजा रहे हो!
माथे पे आई लटें हटा दो
साँसों में हलचल मचा रहे हो।
वादों पे हमारे यकीन कर लो
दांतों से आँचल दबा रहे हो।
8 टिप्पणियां:
bahut hi najuka sher aapne kah rakhi hai ........ek ek panktiyan mano saanso ko rawni de rahi ho.........
अजी शायरी वायरी , कुछ नहीं,
आप पक्का इश्क फरमा रहे हो....
अजी जब इतना बता ही दिया , तो
बता ही दो कहाँ दिल लगा रहे हो..
मियां मुहब्बत है ही ऐसी,,क्या खूब,
कलम चला रहे हो.....
बहुत बढ़िया लगे रहिये...
आपकी सुंदर टिपण्णी ने तो मेरे लिखने का उत्साह को दुगना कर दिया! बहुत बहुत धन्यवाद आपको मेरा ब्लॉग पसंद आया!
वैसे आप भी एक बहुत ही उम्दा लेखक हैं! आपकी हर एक कविता मुझे बहुत पसंद है! आपने ये कविता दिल की गहराई से लिखा है और हर एक लाइन इतनी ख़ूबसूरत है कि कहने के लिए अल्फाज़ कम पर रहे हैं! लिखते रहिये!
नज़रें ये तेरी बता रही हैं
नगमे मेरे गुनगुना रहे हो।
--वाह!! एक जुदा अंदाजे बयां..बहुत खूब. बेहतरीन..लिखते रहें.
वादों पे हमारे यकीन कर लो
दांतों से आँचल दबा रहे हो।
क्या बात है नीरज भाई...क्या खूब अंदाजे बयां है...वाह.
नीरज
अर्थ फिल्म के लिए कैफी साहेब का शेर:
"तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या गम है जिसको छुपा रहे हो"
याद आ गया....
नीरज
नीरज सर,
आपने सही कहा---
"तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो"
से "तुम जो इतना मुस्कुरा रहे हो"
और
"सवेरे सवेरे कहाँ जा रहे हो"
से "सवेरे सवेर कहाँ तू चला है"
की प्रेरणा ली है...
धन्यवाद...
किसी एक पंक्ति की तारीफ कर, दूसरी को कम नहीं आंकना चाहती, सभी लाइनें मिलकर बहुत ही सुन्दर भाव दे रही हैं रचना को, बधाई ।
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एक अदना सा आदमी हूँ और शौकिया लिखने की जुर्रत करता हूँ... कृपया मार्गदर्शन करें...