चराग-ए-इश्क में
गुलाब लगे है
चेहरा तेरा,
चमकते चाँद का
शबाब लगे है
चेहरा तेरा...
नकाब डालकर
करती हो तुम
जुल्म शायरों पे,
नाचती जुल्फों में
कमाल लगे है
चेहरा तेरा...
तेरी आँखों में
उमड़ते देखा है
हरकतें जिस्म की,
रूमानी नज़रों का
तलबगार लगे है
चेहरा तेरा...
फड़कते लबों पे
पिघला पड़ा है
आब-ए-जवानी,
किताब-ए-जिंदगी का
फलसफा लगे है
चेहरा तेरा...
मदहोश हूँ मैं
ख्यालों में तेरे
हुस्न ओ जमाल के,
ख्वाबों की मेरे
ताबीर लगे है
चेहरा तेरा...