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18 अप्रैल 2014

मेरी बहना...

तू क्या है?
आँख मूंद बैठा हूँ मैं
छवि तेरी विचारता
क्या है तू? क्या है तू!

लड़की है-

चंचल उच्छ्रीन्खल !
उड़ती लगाये डैना है-
मैना है।

नारी है-

अबला असहाय।
बचती है संसार से-
मृगा है।

या फ़िर है-

क्रांति ज्योति।
नव विचारों की प्रेरणा-
बहना है।