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18 अप्रैल 2014

बनो मेरी दुल्हन...

कभी मेरे दिल में ठहर के तो देखो
हजारों हैं यादें, गुजर के तो देखो।

बनाया है ये घर तुम्हारे लिए ही,
किसी सहर यहाँ पे नहा के तो देखो।

मचलती हैं बाहें कहें तुमको कैसे
आगोश में मेरे सिहर के तो देखो।

सजाया है कमरा गुलाबों से ऐसे
बनो मेरी दुल्हन बिखर के तो देखो।

मुहब्बत ने तेरे बनाया है 'नीरज'
कभी इन आंखों में सँवर के तो देखो।