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6 अप्रैल 2014

तन्हाइयाँ











हर कदम पर साथ मेरे चल रहीं तन्हाइयाँ
गर रगों में खून बनकर बह रहीं तन्हाइयाँ...

आदमी जब दौड़ता है हर घडी पागलों सा
साथ उसका छोडती हैं तब नहीं तन्हाइयाँ...

आज शामिल जश्न में हैं अजनबी अनजान भी
रात लेकिन साथ मेरे सो रहीं तन्हाइयाँ...

जिंदगी की रात बाकी सो गए अरमान हैं
जानता हूँ तुम मेरे हो कह रहीं तन्हाइयाँ...

गौर करना ऐ जमाने सामने जब इश्क हो
बिन मुहब्बत आदमी को खा गयी तन्हाइयाँ...

जिंदगी में आशिकी की शक्ल तुम खोजा करो
थाम हाथों चूम लेना तो नहीं तन्हाइयाँ...