जिंदगी क्षितिज है
जहाँ मिल रहे हैं
आसमान से ख्वाब
और
हकीकत की जमीन,
ख्वाब
जो उड़ते रहते हैं
पर लगाकर उम्मीदों के
और
हकीकत पसरी हुई है
असीम रेगिस्तान सी
तडपाती हुई,
जो उड़ते रहते हैं
आसमान में ऊँचे
उन्हें
क्षितिज दिखता नहीं
और
जो बढ़ते हैं
जमीन पर डरते हुए
उन्हें क्षितिज मिलता नहीं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
एक अदना सा आदमी हूँ और शौकिया लिखने की जुर्रत करता हूँ... कृपया मार्गदर्शन करें...