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1 अक्तू॰ 2013

जिंदगी क्षितिज है

जिंदगी क्षितिज है
जहाँ मिल रहे हैं 
आसमान से ख्वाब 
और 
हकीकत की जमीन,


ख्वाब

जो उड़ते रहते हैं
पर लगाकर उम्मीदों के 
और 
हकीकत पसरी हुई है 
असीम रेगिस्तान सी 
तडपाती  हुई,


जो उड़ते रहते हैं 

आसमान में ऊँचे 
उन्हें 
क्षितिज दिखता नहीं 
और 
जो बढ़ते हैं 
जमीन पर डरते हुए 
उन्हें क्षितिज मिलता नहीं।

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