मेरा कमरा
और
मेरी याद्दाश्त
दोनों हैं भरे
सड़ी घुटन से...
उनके बीच में
मैं रहता हूँ.
बदलते मौसम
और
गुजरते दिन
लाते रहते हैं
कितने बदलाव!
अच्छे और बुरे-
मैं छांटता हूँ.
कड़वी यादों को
मिटा सकूं
जेहन से
किसी तरह,
इसी प्रयास में
मैं रहता हूँ.
सुनहले पलों को
घर में अपने
सजा सकूं
सिलसिलेवार
ऐसी कोई तरकीब
मैं खोजता हूँ.
कभी कभी जब
मन का अँधेरा
छा जाता है
अँधेरा बनकर
अपनी बालकोनी में
मैं आ जाता हूँ.
एक किरण
अनायास आ जाये
कहीं से
जिंदगी बनकर,
इंतज़ार में
मैं रहता हूँ.
चक्रव्यूह
जीवन का
तोड़ सकता है
केवल एक अर्जुन,
उसे अभिमन्यु में
मैं ढूँढता हूँ.
और
मेरी याद्दाश्त
दोनों हैं भरे
सड़ी घुटन से...
उनके बीच में
मैं रहता हूँ.
बदलते मौसम
और
गुजरते दिन
लाते रहते हैं
कितने बदलाव!
अच्छे और बुरे-
मैं छांटता हूँ.
कड़वी यादों को
मिटा सकूं
जेहन से
किसी तरह,
इसी प्रयास में
मैं रहता हूँ.
सुनहले पलों को
घर में अपने
सजा सकूं
सिलसिलेवार
ऐसी कोई तरकीब
मैं खोजता हूँ.
कभी कभी जब
मन का अँधेरा
छा जाता है
अँधेरा बनकर
अपनी बालकोनी में
मैं आ जाता हूँ.
एक किरण
अनायास आ जाये
कहीं से
जिंदगी बनकर,
इंतज़ार में
मैं रहता हूँ.
चक्रव्यूह
जीवन का
तोड़ सकता है
केवल एक अर्जुन,
उसे अभिमन्यु में
मैं ढूँढता हूँ.
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एक अदना सा आदमी हूँ और शौकिया लिखने की जुर्रत करता हूँ... कृपया मार्गदर्शन करें...