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7 जन॰ 2010

बने एक सवेरा

दूर हटे बीते साल का अँधेरा,
सबके लिए बने एक सवेरा!
फूलों की खूसबू मिले हर इंसान को,
खूसगवार ज़िन्दगी मिले हर इंसान को!
आतंक की अर्थी उठे इस देश में,
हम दिखें हमेशा भारतीयेता के देश में
नफरत खाक में मिले
हर जगह प्यार के फूल खिले!
हम हर इंसान को,
इंसानियत का पाठ पढ़ायें!
चोरकर हम दुश्मनी को
हम भारतीय को गले लगायें!
भूल जाएँ हम गिले-शिकवे की रात को
दिल में बिठाएं हम गले मिलने की बात को!
मिट जाए बीते साल की निराशा,
हर इंसान को मिले आशा ही आशा!

7 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत सुन्दर सकारात्मक सन्देश देती कविता बधाई और नये साल की शुभकामनायें

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

waah.......sukun deti rachna

मनोज कुमार ने कहा…

सकारात्मक सोच लिए प्रेरक कविता के लिए आभार।

Udan Tashtari ने कहा…

बेहतरीन अभिव्यक्ति!!

M VERMA ने कहा…

खूबसूरत आहवान किया है आपने
नया साल आपको मुबारक हो

Urmi ने कहा…

आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बढ़िया रचना लिखा है आपने!

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