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5 जन॰ 2010

बनो मेरी दुल्हन...

कभी मेरे दिल में ठहर के तो देखो
हजारों हैं यादें, गुजर के तो देखो।

बनाया है ये घर तुम्हारे लिए ही,
किसी सहर यहाँ पे नहा के तो देखो।

मचलती हैं बाहें कहें तुमको कैसे
आगोश में मेरे सिहर के तो देखो।

सजाया है कमरा गुलाबों से ऐसे
बनो मेरी दुल्हन बिखर के तो देखो।

मुहब्बत ने तेरे बनाया है 'नीरज'
कभी इन आंखों में सँवर के तो देखो।

9 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार ने कहा…

खूबसूरत आमंत्रण

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

बहुत सुंदर -
"सजाया है कमरा गुलाबों से ऐसे
बनो मेरी दुल्हन बिखर के तो देखो!"

ब्लॉग का नाम बहुत अच्छा लगा!

ओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती शुभकामनाएँ!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", FONT लिखने के 24 ढंग!
संपादक : "सरस पायस"

M VERMA ने कहा…

बहुत खूबसूरत आहवान है.

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी रचना। बधाई।

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया!!


’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’

-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.

नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'

कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.

-सादर,
समीर लाल ’समीर’

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर गजल है जी!
उत्कर्षों के उच्च शिखर पर चढ़ते जाओ।
पथ आलोकित है, आगे को बढ़ते जाओ।।

vandana gupta ने कहा…

WAAH WAAH..........BAHUT HI SUNDARTA SE BHAVON KO UKERA HAI..........BAHUT HI PREMMAY AAMANTRAN..........LAJAWAAB.

Soulmates ने कहा…

Beautiful, so very beautiful, its simple and passionate at the same time.

बेनामी ने कहा…

very nice

post comment link, lables etc are nt visible below post, in footer. plz change their colors to visibility.

regards and congrates fr sch beautiful mind who writes sch beautiful poems.

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एक अदना सा आदमी हूँ और शौकिया लिखने की जुर्रत करता हूँ... कृपया मार्गदर्शन करें...