वो साहिल पे गाने वाले क्या हुए!
वो कश्तियाँ चलाने वाले क्या हुए!
वो सुबह आते-आते रह गई कहाँ
जो काफिले थे आने वाले क्या हुए!
मैं जिन की राह देखता हूँ रात भर
वो रौशनी दिखने वाले क्या हुए!
वो कौन लोग हैं मेरे इधर-उधर
वो दोस्ती निभाने वाले क्या हुए!
इमारतें तो जलकर राख हो गई
इमारतें बनाने वाले क्या हुए!
ये आप-हम बोझ हैं ज़मीं के
ज़मीं का बोझ उठाने वाले क्या हुए!
4 टिप्पणियां:
वो सुबह आते-आते रह गई कहाँ
जो काफिले थे आने वाले क्या हुए!
सुन्दर बहुत सुन्दर
आप की इस ग़ज़ल में उत्तम शेर हैं।
वो दोस्ती निभाने वाले क्या हुए
सुन्दर गजल पढ़वाने के लिए आभार!
bahut hi sundar gazal.........badhayi
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एक अदना सा आदमी हूँ और शौकिया लिखने की जुर्रत करता हूँ... कृपया मार्गदर्शन करें...