अजीब-सा रास्ता
भूली हुई राह
एक और रात
लो फिर आ गई!
भुला-भुला-सा प्यार
भूली-भूली-सी जगह
एक और रात
लो फिर आ गई!
मुझे समझ में नहीं आया
कहानी की क्या विषय थी
एक और रात
लो फिर आ गई!
चेहरे पर उदासी
मन में क्या बात थी
एक और रात
लो फिर आ गई!
मन प्रसन्न था
बात खुशी से होने लगी
एक और रात
लो फिर आ गई!
एक रात जागे थे
एक दिन सोये थे
एक और रात
लो फिर आ गई!
प्यारा-प्यारा-सा स्वप्न
प्यारी-प्यारी-सी बात
एक और रात
लो फिर आ गई!
उनसे मैं खुश था
वो मुझसे नाराज़ थे
एक और रात
लो फिर आ गई!
7 टिप्पणियां:
रोज रात आ जाती है,
और एक दिन
सूरज की धूप में
या चांदनी की रात में
वो काली रात भी आयेगी
जब कोई सुबह होगी ना शाम
ना कोई रात
तो मेरे मन
क्यों न मैं उस घड़ी का
ही करूं इंतजाम
उस घड़ी की ही बात करूं।
लगता है कोई
उनका सन्देशा ला रहा है
चाँदनी छिटकी हुई है
चाँद मुस्करा रहा है
लो फिर एक रात आ गयी.
हमें तब तक किसी अच्छे मौक़े का इल्म नहीं होता जब तक वह हमारे हाथों से निकल नहीं जाता।
बहुत उम्दा!!
बहुत खूब। अब दिन का इन्तज़ार है:-)
बहुत ही सुन्दर सी बात, जो मन को मन को भा गई |
... sundar rachanaa !!!!!!
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एक अदना सा आदमी हूँ और शौकिया लिखने की जुर्रत करता हूँ... कृपया मार्गदर्शन करें...