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15 जुल॰ 2009

खिलौना ...खुदा के हाथ का

एक कतरा रौशनी की तमन्ना थी हमें
आप समझे चांदनी को चुराने आ गए।

खून अपने हाथ हमने मुहब्बत का किया,
लोग समझे खूं सभी का बहाने आ गए।

शाम हमने शायरी सुनाई शौक से,
रात सपने गालिबों के सुहाने आ गए।

अलविदा कहने गए जो पुराने दोस्त को,
आप सजने यूँ लगे के लिवाने आ गए।

हम खिलौना हो गए हैं खुदा के हाथ का,
हम नहीं है खास इतना बताने आ गए।

8 टिप्‍पणियां:

शारदा अरोरा ने कहा…

बहुत रोचक शेर लिखे हैं

vandana gupta ने कहा…

badhiya sher hain.

ओम आर्य ने कहा…

bahut bahut sundar

M VERMA ने कहा…

वाह सभी शेर बहुत खूबसूरत

Asha Joglekar ने कहा…

अलविदा कहने गए जो पुराने दोस्त को,
आप सजने यूँ लगे के लिवाने आ गए।
वाह वाह ।

सदा ने कहा…

अलविदा कहने गए जो पुराने दोस्त को,
आप सजने यूँ लगे के लिवाने आ गए।

बहुत ही अच्‍छी रचना ।

Urmi ने कहा…

वाह वाह क्या बात है! बहुत सुंदर शेर!

Anjana ने कहा…

शे'र बहुत अच्छे हैं लेकिन मतला नहीं है और एक दुसरे से जुडाव भी नहीं है...

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