एक कतरा रौशनी की तमन्ना थी हमें
आप समझे चांदनी को चुराने आ गए।
खून अपने हाथ हमने मुहब्बत का किया,
लोग समझे खूं सभी का बहाने आ गए।
शाम हमने शायरी सुनाई शौक से,
रात सपने गालिबों के सुहाने आ गए।
अलविदा कहने गए जो पुराने दोस्त को,
आप सजने यूँ लगे के लिवाने आ गए।
हम खिलौना हो गए हैं खुदा के हाथ का,
हम नहीं है खास इतना बताने आ गए।
8 टिप्पणियां:
बहुत रोचक शेर लिखे हैं
badhiya sher hain.
bahut bahut sundar
वाह सभी शेर बहुत खूबसूरत
अलविदा कहने गए जो पुराने दोस्त को,
आप सजने यूँ लगे के लिवाने आ गए।
वाह वाह ।
अलविदा कहने गए जो पुराने दोस्त को,
आप सजने यूँ लगे के लिवाने आ गए।
बहुत ही अच्छी रचना ।
वाह वाह क्या बात है! बहुत सुंदर शेर!
शे'र बहुत अच्छे हैं लेकिन मतला नहीं है और एक दुसरे से जुडाव भी नहीं है...
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एक अदना सा आदमी हूँ और शौकिया लिखने की जुर्रत करता हूँ... कृपया मार्गदर्शन करें...