फ़ॉलोअर

23 जून 2009

जरा सोच लीजे...

काश! आप मेरे दीवाने न होते

और संग सारे बहाने न होते।

बात जो चली तो चलो मैं बता दूँ

राह में हमारे ठिकाने न होते।

रोशनी अभी तक मिली ना कहीं भी

और संग ताने पुराने न होते।

होश है हमें ना ग़मों के किसी का

रात में लबों पे तराने न होते।

हाथ में नहीं है वफ़ा की लकीरें

जोश में मुहब्बत निभाने न होते।

आज आप 'नीरज' जरा सोच लीजे

बाद में शिकायत सुहाने न होते।

5 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत खूब!!

Asha Joglekar ने कहा…

Too good.

बेनामी ने कहा…

माशा-अल्ला जवाब नहीं, सोचने का वक्त नहीं, वक्त का तकाजा है,
फिर भी सोचने को मज़बूर हूं

ओम आर्य ने कहा…

kaash aap mere diwane na hote ..........jindgi ke tarane na hote .....bahut khub ..

shama ने कहा…

Uf ! Aur kya kahun , itnee sachhee rachna ke aage..?

Kharab tabiyat ke karan mai tippaniyan nahee de paa rahee thee...

Aap baqaydagee se blog pe aate hain aur comment karte hain( wo bhee poore manse)..mai behad shukrguzar hun!

http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

http://shamasansmaran.blogspot.com

http://shama-kahanee.blogspot.com

http://shama-baagwaanee.blogspot.com

( Baagwaanee bhee behad bhavuk blog hai...kewal maloomat nahee..zaroor padharen!)

http://fiberart-thelightbyalonelypath.blogspot.com

एक टिप्पणी भेजें

एक अदना सा आदमी हूँ और शौकिया लिखने की जुर्रत करता हूँ... कृपया मार्गदर्शन करें...