मेरे पास वक्त बहुत कम है,
एक तेरी ही आँख नम है।
इश्क को करने दो इन्तजार,
कामयाबी बस चार कदम है।
चुभे है इतने नश्तर सीनों में,
मुहब्बत ही आज का धरम है।
मैं निकला हूँ जीतने दुनिया,
दिल में प्यार, हाथ में कलम है।
एक तेरी बाहें मुझे है नामंजूर,
मेरा तो हर इंसान सनम है।
एक तेरी ही आँख नम है।
इश्क को करने दो इन्तजार,
कामयाबी बस चार कदम है।
चुभे है इतने नश्तर सीनों में,
मुहब्बत ही आज का धरम है।
मैं निकला हूँ जीतने दुनिया,
दिल में प्यार, हाथ में कलम है।
एक तेरी बाहें मुझे है नामंजूर,
मेरा तो हर इंसान सनम है।
7 टिप्पणियां:
बहुत ख़ूब
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चर्चा । Discuss INDIA
behad bhaw purna .........achchhi rachana
बहुत खूब लिखते हैं आप।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत उम्दा रचना है।बधाई।
मित्रों,
उत्साह वर्धन के लिए शुक्रिया, एक अदना सा विद्यार्थी हूँ काव्य-जगत का...
इस तरह प्रेरित करते रहे तो सीखता-लिखता रहूँगा...
पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुकियादा करना चाहती हूँ आपकी सुंदर टिपण्णी के लिए!
बहुत ख़ूबसूरत और उम्दा रचना लिखा है आपने! लिखते रहिये!
एक कोमल अभिव्यक्ति......हाथ में कलम हो तो सबकुछ आसान है.
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एक अदना सा आदमी हूँ और शौकिया लिखने की जुर्रत करता हूँ... कृपया मार्गदर्शन करें...