मैं चाहता हूँ
मिल जाना मिट्टी में,
लेकिन आह!
मैं मिल नहीं पाता
क्यूंकि
मैं साधारण मिट्टी नहीं
एक घड़ा हूँ,
टूटा हुआ घड़ा...
मेरा अस्तित्व
है नहीं,
और है भी...
मैं सुकून हूँ
उस कुम्हार का
जिसने बनाया था मुझे
जिसने पकाया था मुझे
थामे रखने को पानी
और
बखूबी दिया अंजाम मैंने
अपने अंत तक
उसके मकसद को...
मिल जाना मिट्टी में,
लेकिन आह!
मैं मिल नहीं पाता
क्यूंकि
मैं साधारण मिट्टी नहीं
एक घड़ा हूँ,
टूटा हुआ घड़ा...
मेरा अस्तित्व
है नहीं,
और है भी...
मैं सुकून हूँ
उस कुम्हार का
जिसने बनाया था मुझे
जिसने पकाया था मुझे
थामे रखने को पानी
और
बखूबी दिया अंजाम मैंने
अपने अंत तक
उसके मकसद को...