तुम जो इतना मुस्कुरा रहे हो
क्या है कहना जो छुपा रहे हो!
नज़रें ये तेरी बता रही हैं
नगमे मेरे गुनगुना रहे हो।
हाथों पे हिना जो रचा रखी है
उसपे तारे क्यूँ सजा रहे हो!
माथे पे आई लटें हटा दो
साँसों में हलचल मचा रहे हो।
वादों पे हमारे यकीन कर लो
दांतों से आँचल दबा रहे हो।
6 टिप्पणियां:
बहुत पसंद आई।
बढ़िया पैरोडी लिखी है आपने!
its like happy version of tht ghazal. good composition.
Sorry sir
i havnt published ur comment coz tht included my name in it. I nvr publish my name in my blog fr some reason of my own. but sooner or later i will publish this composition of urs fr sure :). i already have two of your compositions at my blog credited under ur name. thnk u fr ur appreciation
बहुत खबसूरत ग़ज़ल लिखा है आपने! इस उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई!
Here r the links sir, by clicking at your name below the post one will reach directly to the poem at your blog.if u wish ny changes or removal,plz tell, i will abide by it.
regards
toota ghadaa : http://rebel-spiritz.blogspot.com/2010/01/toota-ghadaa.html
main bhool jata hoon: http://rebel-spiritz.blogspot.com/2009/12/main-bhool-jata-hoon.html
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एक अदना सा आदमी हूँ और शौकिया लिखने की जुर्रत करता हूँ... कृपया मार्गदर्शन करें...