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21 सित॰ 2009

कुछ नए पल

एक नया एहसास लेकर
नए जीवन जीने की
मैं निकला हूँ
छोर पकरने!
एक नई खुशी लेकर
अपनी उदासी को
मैं निकला हूँ
अलविदा कहने!
कुछ नए पल
जीने को मिले
ये सोचकर निकला हूँ
मैं अपनी मंजिल ढूँढने!

दिल की उदासी दूर हो!
दिल को खुशी हो!
दिल की प्यास बुझे!
दिल में नया एहसास जगे!
ये सोचकर निकला हूँ
मैं अपनी खुशी ढूँढने!

5 टिप्‍पणियां:

Urmi ने कहा…

बहुत सुंदर रचना लिखा है आपने! दिल को छू गई आपकी ये शानदार रचना! ज़िन्दगी में आपको सारी खुशियाँ मिले यही मेरी प्रार्थना है भगवान से!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

शानदार रचना है।
नवरात्रों की शुभकामनाएँ!
ईद मुबारक!!

Neeraj Kumar ने कहा…

बहुत ही अच्छी रचना है... लिखते रहो ऐसे ही... अभी तो त्योहारों का मौसम आ गया है... इनपर कुछ लिखने का प्रयास क्यों नहीं करते...

Udan Tashtari ने कहा…

हमारी शुभकामनाएँ आपके साथ है..खोजिये...बढ़िया रचना.

Randhir Singh Suman ने कहा…

ये सोचकर निकला हूँ
मैं अपनी मंजिल ढूँढने!nice

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एक अदना सा आदमी हूँ और शौकिया लिखने की जुर्रत करता हूँ... कृपया मार्गदर्शन करें...