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11 जुल॰ 2009

टूट गई गुल्लक...

सपनों को रखता रहा था
दूसरो से छिपाकर,
आ गई क़यामत
जब
टूट गई गुल्लक...
जिंदगी बिखर गई।

7 टिप्‍पणियां:

M Verma ने कहा…

वाकई गुल्लक का टूटना जीवन के बिखरने जैसा ही है.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

रज़िया "राज़" ने कहा…

बहुत ख़ुब!!1 आपकी छोटी-सी, पर सच्ची रचना मेनेजर को छू गइ।

निर्मला कपिला ने कहा…

caMd shabdoM me sundar abhivayakti aabhaar

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा!!

vandana gupta ने कहा…

waah .........bahut gahre jazbaat.

Urmi ने कहा…

आपकी छोटी सी प्यारी सी रचना बहुत शानदार है!

Samta ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है...

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