स्वतंत्र हम-
भारत के जन-गण
बापू नेहरू के
भारत में जीते हैं क्या?
सत्य-अहिंसा- पंचशील
पुस्तकेषु सिद्धांत हैं।
पदवी-पैरवी में है रेस
लाठी वाले की है भैंस।
मूल्यों का कोई मूल्य नहीं
कुर्सी के सब ग्राहक हैं।
समाजवादी- समाजसेवी
जग-जाहिर रंगे सियार है।
राजनेता धर्मवक्ता
रामराज्य के प्रवक्ता हैं
पर राम राज्य का साधन है।
कौन जनता का दुःख हरता है?
इन झंझटों में कौन फंसता है।
राजनीति और धर्म-
इन दो पाटों के बीच
केवल घुन ही पिसता है।
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