मेरा मन खामोश है
लेकिन...
जीवन की भागदौड़ है
जग में बहुत शोर है।
मेरा अंतर्मन खामोश है
लेकिन...
शब्दजाल पसर रहा है
जी का जंजाल बन रहा है।
मैं परेशान हूँ
क्योंकि...
हर घर केवल मकान है
संबंधों की दुकान है।
किंकर्तव्यविमूढ़ हूँ
क्योंकि...
मैं फंसा हूँ झूठ-सच में
जिंदगी के गूढ़ अर्थ में।
लेकिन...
जीवन की भागदौड़ है
जग में बहुत शोर है।
मेरा अंतर्मन खामोश है
लेकिन...
शब्दजाल पसर रहा है
जी का जंजाल बन रहा है।
मैं परेशान हूँ
क्योंकि...
हर घर केवल मकान है
संबंधों की दुकान है।
किंकर्तव्यविमूढ़ हूँ
क्योंकि...
मैं फंसा हूँ झूठ-सच में
जिंदगी के गूढ़ अर्थ में।