एक कमरे में सिमटा
मेरा जीवन,
एक तख्त पे पड़ी
पुरानी पुस्तकें।
छत से लटकी
एक मकड़ी,
खिड़की से आती
ठंडी हवा।
सोचों को बिखेरती
बेरहम यादें,
ऐड्स से मरती
रति की काया।
सन्नाटे को चीरती
झींगुर की चीखें,
डायरी से झांकती
मेरी कविता।
पतझड़ से लड़ते
नंगे पेड़,
जेब में पड़े
नाकाफी पैसे।
बर्तन में सड़ते
रोटी के टुकड़े,
इस कमरे में सिमटा
मेरा जीवन।
मेरा जीवन,
एक तख्त पे पड़ी
पुरानी पुस्तकें।
छत से लटकी
एक मकड़ी,
खिड़की से आती
ठंडी हवा।
सोचों को बिखेरती
बेरहम यादें,
ऐड्स से मरती
रति की काया।
सन्नाटे को चीरती
झींगुर की चीखें,
डायरी से झांकती
मेरी कविता।
पतझड़ से लड़ते
नंगे पेड़,
जेब में पड़े
नाकाफी पैसे।
बर्तन में सड़ते
रोटी के टुकड़े,
इस कमरे में सिमटा
मेरा जीवन।