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1 मई 2013

चाँदनी का एहसास

मेरी छत से/
दिख नहीं रहा/
चाँद आज,
सारे तारों की/
टिमटिमाहट समेट/
चाँदनी का एहसास/
आँखों को मैं/
करा रहा हूँ।